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AC और DC Current में क्या अंतर है ?

AC और DC Current में क्या अंतर है   (Difference in AC and DC) आज मैं आपको बहुत आसान तरीके से समझाने की कोशिश करूंगा की  ac and dc current   क्या  होता   है, तो चलो शुरू करते  है।  विद्युत धारा (Current) में विद्युत चालकता का विभाजन दो प्रकार से होता है - एल्टरनेट करंट (Alternate Current - AC) और डायरेक्ट करंट (Direct Current - DC). डायरेक्ट करंट (DC) एकमुख धारा होती है, जिसमें विद्युत चालकता एक ही दिशा में फ्लो करती है। इसमें विद्युत धारा बिना बदले, एक स्थिर मान से गुजरती रहती है। यह सामान्यतः बैटरी और सेलों में प्रयोग किया जाता है जो विद्युत ऊर्जा को संचयित करते हैं। एल्टरनेट करंट (AC) दोनों दिशाओं में धारा बदलती रहती है। यह विद्युत चालकता समय-समय पर पूरी दिशा में प्रत्यावर्तित होती है, जिसके कारण उसके विद्युत धारा में बदलाव होता रहता है। एसी का उपयोग विद्युत शक्ति परिवाहन और घरेलू उपयोगों में होता है, क्योंकि यह ऊर्जा को दूरीदूरी तक पहुंचाने में मदद करता है। इन दोनों प्रकार के धाराएँ अपने-अपने उद्देश्यों में विभाजित होती हैं और हर एक के अपने-अपने फायदे और प्रयोग होते हैं ।

CAPACITOR क्या होता है ?

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CAPACITOR क्या होता है ? आज मैं आपको बहुत आसान तरीके से समझाने की कोशिश करूंगा की कपैसिटर   क्या  होता   है, तो चलो शुरू करते  है।   वैसे तो किसी अचालक (Insulator) प्लेट से अलग किये गये दो चालक (Condutor) प्लेटो के बीच चार्ज एकत्र (Store) करने की पावर होती है जो की केपेसिटेंस कहलाती है। परन्तु जब दो या अधिक चालक (Condutor) प्लेटो को अचालक (Insulator) के साथ सयोजित करके एक ऐसे पुर्जे का रूप दे दिया जाता है जो केपेसिटेंस प्रस्तुत करे तो उसे कपैसिटर कहते है।  दूसरे शब्दो में चार्ज इकठा करने की युक्ति कपैसिटर या कन्डेंसर (condenser) कहलाती है।   प्रतिक = C  मात्रक = फैरड  Capacitors के प्रकार   (a) Fixed कैपेसिटर्स  = जिन कैपेसिटर्स की वैल्यू स्थिर होती है अथार्त घटाई -बढ़ाई नही जा सकती वे fixed कैपेसिटर्स कहलाते है , जैसे-- पेपर कपैसिटर , माइका कपैसिटर , इलेक्ट्रोलाइट कपैसिटर आदि।  (b) Variable कैपेसिटर्स = जिन कैपेसिटर्स का मान सरलता से उसके अधिकतम तथा न्यून्तम मान के बीच कही  भी सैट किया जा सकता है वे variable कैपेसिटर्स कहलाते है। जैसे - गैंग कपैसिटर।  (c) Adjustable कैपेसिटर्स

P तथा N प्रकार के पदार्थ क्या होता है ?(P AND N TYPE MATERIALS)

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P तथा  N प्रकार के पदार्थ क्या होता है ? आज मैं आपको बहुत आसान तरीके से समझाने की कोशिश करूंगा की   Pतथा N प्रकार का पदार्थ  क्या  होता   है, तो चलो शुरू करते  है। TRANSISTOR के निर्माण में P-प्रकार  तथा  N-प्रकार का जर्मेनियम या सिलिकॉन प्रयोग किया जाता है। ये p and n दोनों प्रकार के पदार्थ शुद्ध जर्मेनियम या सिलिकॉन तत्व में अन्य तत्वो को अशुद्धि के रूप में मिलाकर बनाये जाते है।  शुद्ध जर्मेनियम या सिलिकॉन में अन्य तत्व को अशुद्धि के रूप में मिलाने की क्रिया डोपिंग (Doping) कहते है।    P प्रकार का पदार्थ  जब  चतुसांयोजी (Tetravalent) जर्मेनियम या सिलिकॉन में त्रिसंयोजी (Trivalent) तत्व इंडीयम (Indium) या गैलियम (gallium) को अशुद्धि के रूप में मिला दिया जाता है तो प्रत्येक इन्डियम परमाणु में एक इलेक्ट्रान की कमी पैदा हो जाती है। इलेक्ट्रान की कमी होल (HOLE) कहलाती है। होल्स पैदा करने वाली अशुद्धि के परमाणु ऐक्सेप्टर (Accepter) परमाणु कहलाते है। और ऐक्सेप्टर परमाणुओं की अशुद्धि वाला पर्दाथ P प्रकार का पर्दाथ कहलाता है।     नीचे चित्र में देखे।    N प्रकार का पदार्थ  जब  चतुसांयोजी

RESISTOR क्या होता है ?

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RESISTOR क्या होता है ?  आज मैं आपको बहुत आसान तरीके से समझाने की कोशिश करूंगा की Resistor   क्या  होता   है, तो चलो शुरू करते  है। सबसे पहले हम यह जानेंगे की इसकी खोज किसने की दरअसल इसकी खोज Otis   Boykin   ने साल 1959 मे की थी।  अब हम जानेंगे की रेसिस्टर क्या होता है। रेसिस्टर एक ऐसा passive electrical component होता है जो की electric current के flow में रुकावट पैदा करता है। इसी रुकावट को रेजिस्टेंस कहते है और इस component को resistor कहते है। रेजिस्टेंस को ohm मे measure किया जाता है।  Resistor का प्रतीक = R  Resistor का मात्रक =ohm Resistor के प्रकार   Fixed Resistor = जिस रेसिस्टर की वैल्यू fixed होती है जैसे carbon resistor etc .  Variable resistor = जिस रेसिस्टर की वैल्यू vari (change )की जा सकती है जैसे potentiometer, rheostat,  trimpat etc. Physical quantity dependent(भौतिक मात्रा पर निर्भर ) resistor NTC (negative temperature coefficient)  LDR (light dependent resistor ) VDR (Voltage dependent resistor )  MDR (magnetic dependent resistor)  मुझे उम्मीद है की आप लोगो को समझ आ

TRANSFORMER क्या होता है?

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TRANSFORMER क्या होता है? आज मैं आपको बहुत आसान तरीके से समझाने की कोशिश करूंगा की Transformer   क्या होता   है, तो चलो शुरू करते  है।      Transformer का अविष्कार Michael Faraday ने सन 1831 मे किया था।    अब हम जानेंगे की ट्रांसफार्मर क्या होता है। यह एक विधुत ( electric ) यंत्र है जो की AC (alternating current ) supply की frequency को बिना बदले कम या ज़्यदा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और यह AC वैद्युतिक ऊर्जा को एक परिपथ से दूसरे परिपथ में स्थानांतरित कर सकती है।  कार्य सिद्धांत यह म्यूच्यूअल-इंडक्टेन्स के सिद्धांत पर कार्य करता है क्यूकि इंडक्टेन्स केवल AC परिपथों मे होता है। अतः ट्रांसफॉर्मर भी केवल AC (alternating current) पर ही कार्य कर सकता है DC (direct current) पर नही। संरचना   Transformer में दो प्रकार की Winding होती है।  (a ) Primary Winding = Transformer के जिस winding पर AC Supply या Input दी जाती है वह Primary winding कहलाती है  (b ) Secondary Winding = Transformer के जिस winding से output     मिलती है। वह Secondary winding कहलाती है  टांस्फॉर्मर के प्रकार   Output

DIODE क्या होता है ?

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DIODE क्या होता है ? आज मैं आपको बहुत आसान तरीके से समझाने की कोशिश करूंगा की   डायोड  क्या  होता   है चलो शुरू करते  है।       डायोड एक ऐसा ELECTRONIC COMPONENT होता है। जो करंट को सिर्फ एक दिशा मे FLOW होने की अनुमति देता है डायोड में दो इलेक्ट्रोड होते है एनोड और कैथोड, डायोड के जिस साइड में सिल्वर कलर की लाइन होती है उस तरफ का इलेक्ट्रोड कैथोड होता है और डायोड के SYMBOL में जो ट्राइंगल की नोक है उसकी दूसरी तरफ वाला एनोड होता है।     WORKING OF DIODE     1.FORWARD BIAS =  जैसा की चित्र में दिखया गया है की डायोड के एनोड (+)  टर्मिनल को बैटरी के पॉज़िटिव (+) टर्मिनल से और डायोड के कैथोड (-) टर्मिनल को बैटरी के नेगेटिव (-) टर्मिनल से जोड़ना FORWARD BIASING कहलाता है. इस प्रकार फॉरवर्ड बायस condition मे बैटरी के नेगेटिव सिरे से इलेक्ट्रान चलते है और बैटरी के पॉजिटिव सिरे तक पहुंच जाते है जिससे करंट flow हो जाता है।  2. REVERSE BIAS = जैसा की चित्र में दिखया गया है की P को बेट्री के नेगेटिव से और N को बैटरी के पॉजिटिव से जोड़ना रिवर्स बायसिंग कहलाता है इस  प्रकार के बायसिंग से बैटरी का ने

RMS (ROOT MEAN SQUARE) या (वर्ग-माध्य -मूल) क्या होता है।

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RMS (ROOT MEAN SQUARE) या (वर्ग-माध्य -मूल) क्या होता है।    आज मैं आपको बहुत आसान तरीके से समझाने की कोशिश करूंगा की ROOT MEAN SQUARE   क्या  होता   है, तो चलो शुरू करते  है। हम जानते है की dc system मे वोल्टेज और करंट अपना वैल्यू बदलता नही है समय के साथ वो हर समय एक समान है इसीलिए dc system मे पावर calculation निकलना आसान होता है। Example=  DC System               लेकिन AC System मे वोल्टेज एंड करंट अपना वैल्यू बदलता है समय के साथ वह हर समय एक समान नही होता जिसके कारन ac system में power calculation निकलना थोड़ा मुश्किल है। इसी power calculation को निकलने के लिए हमें ac का एक ऐसा effective value चाहिए होगा जिसको consider कर के हम power का या करंट का calculation कर सके। और इसी effective value को RMS VALUE कहते है।  RMS की VALUE = 0. 7 0 7     मुझे उम्मीद है की आप लोगो को समझ आ गया होगा की RMS (ROOT MEAN SQUARE) क्या होता है। अगर आपको कुछ समझ नही आया तो comment box मे पुछ सकते है। BASIC BUT IMPORTANT PCB FULL FORM = PRINTED CIRCUIT BOARD  MCB FULL FORM = MINIATURE CIRCUIT BREAKER Thank