AC और DC Current में क्या अंतर है ?

AC और DC Current में क्या अंतर है   (Difference in AC and DC) आज मैं आपको बहुत आसान तरीके से समझाने की कोशिश करूंगा की  ac and dc current   क्या  होता   है, तो चलो शुरू करते  है।  विद्युत धारा (Current) में विद्युत चालकता का विभाजन दो प्रकार से होता है - एल्टरनेट करंट (Alternate Current - AC) और डायरेक्ट करंट (Direct Current - DC). डायरेक्ट करंट (DC) एकमुख धारा होती है, जिसमें विद्युत चालकता एक ही दिशा में फ्लो करती है। इसमें विद्युत धारा बिना बदले, एक स्थिर मान से गुजरती रहती है। यह सामान्यतः बैटरी और सेलों में प्रयोग किया जाता है जो विद्युत ऊर्जा को संचयित करते हैं। एल्टरनेट करंट (AC) दोनों दिशाओं में धारा बदलती रहती है। यह विद्युत चालकता समय-समय पर पूरी दिशा में प्रत्यावर्तित होती है, जिसके कारण उसके विद्युत धारा में बदलाव होता रहता है। एसी का उपयोग विद्युत शक्ति परिवाहन और घरेलू उपयोगों में होता है, क्योंकि यह ऊर्जा को दूरीदूरी तक पहुंचाने में मदद करता है। इन दोनों प्रकार के धाराएँ अपने-अपने उद्देश्यों में विभाजित होती हैं और हर एक के अपने-अपने फायदे और प्रयोग होते हैं ।

P तथा N प्रकार के पदार्थ क्या होता है ?(P AND N TYPE MATERIALS)

P तथा  N प्रकार के पदार्थ क्या होता है ?

आज मैं आपको बहुत आसान तरीके से समझाने की कोशिश करूंगा की  Pतथा N प्रकार का पदार्थ क्या होता है, तो चलो शुरू करते  है।



TRANSISTOR के निर्माण में P-प्रकार  तथा  N-प्रकार का जर्मेनियम या सिलिकॉन प्रयोग किया जाता है। ये p and n दोनों प्रकार के पदार्थ शुद्ध जर्मेनियम या सिलिकॉन तत्व में अन्य तत्वो को अशुद्धि के रूप में मिलाकर बनाये जाते है। 


शुद्ध जर्मेनियम या सिलिकॉन में अन्य तत्व को अशुद्धि के रूप में मिलाने की क्रिया डोपिंग (Doping) कहते है।   





P प्रकार का पदार्थ 

जब  चतुसांयोजी (Tetravalent) जर्मेनियम या सिलिकॉन में त्रिसंयोजी (Trivalent) तत्व इंडीयम (Indium) या गैलियम (gallium) को अशुद्धि के रूप में मिला दिया जाता है तो प्रत्येक इन्डियम परमाणु में एक इलेक्ट्रान की कमी पैदा हो जाती है। इलेक्ट्रान की कमी होल (HOLE) कहलाती है। होल्स पैदा करने वाली अशुद्धि के परमाणु ऐक्सेप्टर (Accepter) परमाणु कहलाते है। और ऐक्सेप्टर परमाणुओं की अशुद्धि वाला पर्दाथ P प्रकार का पर्दाथ कहलाता है।    नीचे चित्र में देखे।   






N प्रकार का पदार्थ 

जब चतुसांयोजी (Tetravalent) जर्मेनियम या सिलिकॉन में पंचसंयोजी (Pentavalent) तत्व आर्सेनिक (Arsenic) या एंटीमनी (antimony) को अशुद्धि के रूप में मिला दिया जाता है तो अशुद्धि परमाणु के पांचवे इलेक्ट्रान को सह-संयोजी बन्ध (band ) संरचना में कोई जगह नही मिल पाता और वह मुक्त इलेक्ट्रान के रूप में क्रिस्टल में घूमने लगता है।  मुक्त इलेक्ट्रान पैदा करने वाले अशुद्धि के परमाणु , डोनर परमाणु (Donor atom) कहलाते है और डोनर परमाणुओं की अशुद्धि वाला पदार्थ , N प्रकार का पदार्थ कहलाता है  नीचे चित्र में देखे। 



P या N प्रकार के पदार्थ को एक्सट्रिन्सिक (extrinsic ) पदार्थ कहते है। 





मुझे उम्मीद है की आप लोगो को समझ आ गया होगा की P तथा  N प्रकार के पदार्थ क्या होता है। अगर आपको कुछ समझ नही आया तो comment box मे पुछ सकते है। अगर कुछ गलती हो तो जरूर बताये मै उस गलती को ठीक करूँगा। 





BASIC BUT IMPORTANT

  • चतुसांयोजी (Tetravalent) का मतलब = जिस पदार्थ के परमाणु में  Outer shell में चार इलेक्ट्रान होते है उसे tetravalent पदार्थ कहते है। 
  • त्रिसंयोजी (Trivalent) = जिस पदार्थ के परमाणु में  Outer shell में तीन इलेक्ट्रान होते है उसे Trivalent पदार्थ कहते है।
  • पंचसंयोजी (Pentavalent) = जिस पदार्थ के परमाणु में  Outer shell में पांच इलेक्ट्रान होते है उसे Pentavalent पदार्थ कहते है।


Thank You.......

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
Excellent job sir
Mahender Kumar ने कहा…
Thank you sir and very haplful for me
Deepak kumar ने कहा…
Thanks sir mujhe itna simple kisi ne nhe sikahya abhi tak

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